विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब हुई
विजयनगर साम्राज्य
- विजयनगर साम्राज्य की स्थापना दक्षिण भारत में 1336 ई. में हरिहर एवं बुक्का द्वारा की गई थी।
- माधव विद्यारण्य, हरिहर एवं बुक्का के गुरु थे।
- विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी थी।
- देवराय प्रथम के समय इटली का यात्री निकोलो कोंटी 1420 ई. में विजयनगर आया था।
- देवराय द्वितीय के समय अब्दुल रज्जाक विजयनगर आया था। इस साम्राज्य का महान् शासक कृष्णदेव राय था जो एक कुशल योद्धा एवं विद्वान् था। उसके शासनकाल में पुर्तगाली यात्री डोमिगोस पायस आया था।
- कृष्णदेव राय ने तेलुगू भाषा में अमुक्तमाल्यद एवं संस्कृत में जाम्बवती कल्याणम् एवं उषा परिणय की रचना की। बेनीपट्टी के नजदीक तालीकोटा (रक्षसी तंगड़ी) के प्रसिद्ध युद्ध (1565 ई.) में विजयनगर का शासक रामराय पराजित हुआ। इसके साथ दक्षिण में हिन्दू सर्वोच्चता का अन्त हो गया था।
- विजयनगर साम्राज्य पर संगम, सालुव, तुलुव एवं अरविडु वंशों ने शासन किया।
बहमनी साम्राज्य
- मुहम्मद तुगलक के शासनकाल में हसन गंगू ने बहमनी साम्राज्य की स्थापना की थी, उसकी राजधानी गुलबर्गा थी।
- मोहम्मद गवाँ एक फारसी था, जो लगभग 25 वर्षों तक बहमनी साम्राज्य में मन्त्री रहा था। बहमनी शासक हुमायूँ को दक्कन का नीरो कहा जाता था। 1417 ई. में मुहम्मद तृतीय के शासनकाल में रूसी यात्री निकितन बहमनी साम्राज्य की यात्रा पर आया था। महमूद गवाँँ की हत्या के बाद बहमनी पाँच छोटे-छोटे राज्यों में बट गया था। वह राज्य बीदर, अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुण्डा तथा बरार थे जो विभाजित हो गये।
- बरार के अलावा अन्य चार राज्यों ने मिलकर तालीकोटा के युद्ध में विजयनगर साम्राज्य को नष्ट कर दिया था।
मेवाड़
- राणा कुम्भा ने 1448 ई. में चित्तौड़ में विजय स्तम्भ बनाया था। 1517-18 ई. में घटोली के युद्ध में राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को हराया था।
- खानवा का युद्ध 1527 ई. में राणा सांगा एवं बाबर के बीच हुआ था, जिसमें बाबर की विजय हुई।
- हल्दीघाटी का युद्ध 1576 ई. में राणा प्रताप एवं अकबर के बीच हुआ था, जिसमें अकबर की विजय हुई।
जौनपुर
- फिरोज तुगलक ने मुहम्मद तुगलक जौना खाँ की स्मृति में जौनपुर की स्थापना की थी।
- जौनपुर को भारत का शिराज कहा जाता था।
मराठों का उत्कर्ष
- मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी थे। उनका जन्म 1627 ई. में शिवनेर दुर्ग (जुन्नार के समीप) में हुआ था।
- शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले एवं माता का नाम जीजाबाई था। उनके गुरु कोंडदेव थे। शिवाजी पर गुरु रामदास का काफी प्रभाव पड़ा था।
- 1656 ई. में शिवाजी ने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया तथा सूरत को 1664 ई. में अधीन किया।
- पुरन्दर की संधि (1665 ई.) मुगल सूबेदार महाराजा जयसिंह एवं शिवाजी के मध्य हुई।
- शिवाजी के मंत्रिमंडल को अष्टप्रधान कहा जाता था।
- 1674 ई. में शिवाजी ने रायगढ़ में काशी के विद्वान् गंगाभट्ट ने अपना राज्याभिषेक करवाया। शिवाजी ने छत्रपति की उपाधि ग्रहण की। अप्रैल, 1680 में शिवाजी की मृत्यु हो गई थी।
- पानीपत का तृतीय युद्ध (1761 ई.) मराठों और अहमद शाह अब्दाली की सेना के बीच हुआ था।
सूफी आन्दोलन
सूफी दर्शन एकेश्वरवाद में विश्वास करता था। यह एक प्रकार का रहस्यवादी दर्शन था। अजमेर के ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती, दिल्ली के शेख निजामुद्दीन औलिया और नासिरुद्दीन, फतेहपुर सीकरी के शेख सलीम चिश्ती तथा फरीदुद्दीन गंज़शकर प्रसिद्ध सूफी संत थे।
भक्ति आन्दोलन
छठी शताब्दी में भक्ति आन्दोलन की शुरूआत तमिल क्षेत्र से हुई थी, जो कर्नाटक और महाराष्ट्र में फैल गया। भक्ति आन्दोलन का विकास 12 अलवार (वैष्णव सन्त) तथा 63 नयनार (शैव संत) ने किया था। दक्षिण में रामानुज, उत्तर में रामानन्द और कबीर, महाराष्ट्र में नामदेव, बंगाल में चैतन्य एवं पंजाब में गुरु नानक भक्ति आन्दोलन के प्रमुख सन्त थे। कबीर की शिक्षाएं बीजक में संगृहीत हैं।
भारत में धार्मिक आन्दोलन
छठी सदी में ब्राह्मणवादी कर्मकाण्डों के विरुद्ध नास्तिक एवं अनीश्वरवादी बौद्ध एवं जैन धर्मों का उदय हुआ था।
महावीर स्वामी का जीवन परिचय
महावीर स्वामी का जन्म जन्म 540 ई.पू. वैशाली के पास कुण्डग्राम में हुआ, इनके बचपन का नाम वर्द्धमान था। महावीर स्वामी के पिता का नाम सिद्धार्थ तथा माता का नाम त्रिशला था। इनकी पत्नी यशोदा और पुत्री प्रियदर्शनी थी। महावीर स्वामी ने 30 वर्ष की अवस्था में (गृहत्याग) कर दिया था इनकी मृत्यु 468 ई. पू. में पावापुरी (नालन्दा) में 72 वर्ष की आयु में हो गई थी।
जैन धर्म
- जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव थे। जो प्रथम तीर्थंकर में से एक थे। जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ थे।
- महावीर स्वामी चौबीसवें और अन्तिम तीर्थंकर थे।
- जैन दर्शन का प्रमुख सिद्धान्त स्यादवाद (अनेकान्तवाद) है।
- त्रिरत्न सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन व सम्यक् आचरण
- पंचमहाव्रत अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय तथा ब्रह्मचर्य हैं। इसमें प्रथम चार पार्श्वनाथ द्वारा जोड़े गए तथा अन्तिम (ब्रह्मचर्य) महावीर द्वारा जोड़ा गया था।
- प्राचीनतम जैन साहित्य को 'आगम' कहा जाता हैं। इनकी रचना प्राकृत भाषा में हुई थी।
- जैन धर्म दो पन्थों-श्वेताम्बर एवं दिगम्बर में बँट गया था। श्वेताम्बर श्वेत वस्त्र धारण करते है, जबकि दिगम्बर पन्थ को मानने वाले वस्त्रों का परित्याग करते हैं। महावीर स्वामी की मृत्यु के बाद जैन संघ का प्रथम अध्यक्षा 'सुधर्मन' था।
गौतम बुद्ध का जीवन परिचय
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। इनका जन्म 563 ई. पू. में लुम्बिनी नामक स्थान कपिलवस्तु में हुआ था। इनका बचपन का नाम सिद्धार्थ था। इनके पिता का नाम शुद्धोधन था जो शाक्यों के राज्य कपिलवस्तु के शासक थे और माता का नाम महामाया देवी था गौतम बुद्ध के जन्म के सात दिन बाद ही इनकी माता की मृत्यु हो गई। इनका लालन-पालन इनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने किया और इनका विवाह 16 वर्ष की आयु में यशोधरा नामक राजकुमारी से कर दिया था जो कोलिय गणराज्य की राजकुमारी थी। इनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम राहुल था इन्होंने 29 वर्ष की आयु में गृह त्याग कर दिया था और 35 वर्ष की आयु में वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल वृक्ष के नीचे बोधगया में ज्ञान प्राप्त किया था। इन्होंने प्रथम उपदेश ऋषिपत्तन सारनाथ में दिया इनकी मृत्यु 483 ई. पू. में वैशाख पूर्णिमा के दिन कुशीनगर में हो गई थी।
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