अगस्त कॉम्टे का जीवन परिचय
अगस्त कॉम्टे का जीवन परिचय
कॉम्ट का जन्म 19 जनवरी, 1708 में फ्रांस के मान्टेपेलियर नामक स्थान में एक कैथोलिक परिवार में हुआ था। बाल्यकाल से ही कॉम्ट के व्यक्तित्व में दो विशेषतायें स्पष्ट होने लगीं-एक तो उनकी प्रखर बौद्धिक क्षमता व दूसरी समस्त स्थापित सत्ता का विरोध करने की मनोवृत्ति। कॉम्ट स्वयं एक लोकतन्त्रवादी थे और वह अपने माता-पिता के विचारों के विरोधी थे। मात्र तेरह वर्ष की आयु में उन्होंने परिवार की धार्मिक और राजनीतिक परम्पराओं को ठुकराकर एक स्वतन्त्र विचारधारा का दावा किया।कॉम्ट के जीवन काल में, अनेकों समाजशास्त्रियों व दार्शनिकों का बोलबाला था किन्तु कॉम्ट के विचारों को प्रभावित करने वाले फ्रांस के विद्वान एवं प्रसिद्ध दार्शनिक सेण्ट साइमन का नाम उल्लेखनीय है। जब कॉम्ट 19 वर्ष की आयु के थे. तब से लेकर 6 वर्ष बाद अर्थात 1824 ई० में दानों में मतभेद उत्पन्न हो गया क्योंकि सेण्ट साइमन की विचारधारा में क्रमबद्धता का अभाव था। इसके बजाय कॉम्ट की विचारधारा में हमें यर्थाथता तथ तार्किकता देखने को मिलती थी।
1824 ई० में अगस्त काम्टे का विवाह हुआ। उनकी पत्नी का नाम कोरोलिन मैसिन था। कॉम्ट का वैवाहिक जीवन सुखद नहीं रहा क्योंकि उनकी पत्नी अत्यन्त दुष्ट प्रवृति की थी। अपने सुखद वैवाहिक जीवन को भुलाने हेतु काम्टे ने अपने आपकों अध्ययन और लेखन कार्य में ही डूबा दिया। 1827 ई० में अत्यधिक परिश्रम के कारण वे एक भंयकर मानसिक रोग से ग्रस्त हो गये। एक वर्ष के बाद रोग मुक्त होकर उन्होंने फिर से व्याख्यान देने शुरू किये तथा 1830 में उन्होंने एक महान कृति (Cours de Philosophie Positive) का प्रथम खण्ड प्रकाशित किया तथा पुस्तक का अन्तिम खण्ड 1842 में प्रकाशित हुआ और इसी वर्ष उनका व उनकी पत्नी का विवाह विच्छेद हो गया।
कुछ समय पश्चात् कॉम्ट के जीवन में परिवर्तन आया। 1844 ई० में कॉम्टे का परिचय एक साधारण तथा दुःखी महिला क्लोटाइल डी वाक्स (Clotidle de Vaux) से हुआ। यह महिला अपने पति से अलग माता-पिता के पास पेरिस में रह रही थी कॉम्ट का मानना था कि वाक्स एक दैवीय गुणों से परिपूर्ण एवं अतुलनीय महिला थी। वाक्स का प्रभाव कॉम्ट का यह प्रेम एक तरफा था। वाक्य और कॉस्ट एक वर्ष के समय के दौरान भी ना तो एक साथ घर में रहे और ना ही वाक्स ने कभी इस समय के दौरान उन्हें प्रेम किया। इस साधारणतुल्य महिला के सम्पर्क में आने के पश्चात् से ही कॉम्ट की विचारधारा बदल गई। 1846 में वाक्य की मृत्यु हो गई। 1851-1854 के मध्य उनकी दूसरी पुस्तक ("System of Positive Polity") के चार खण्ड प्रकाशित हुए इस कृति में कॉम्ट ने स्त्रियों की प्रशंसाओं एवं उनके नैतिक व दैविक गुणों का भरपूर वर्णन किया है। कॉम्ट का प्रेम इतिहास के लिये एक उदाहरण है जिन्होंने अपने प्रशंसकों तथा अनुयायियों को अपनी प्रेमिका की पूजा करने के लिये विवश कर दिया। हॉकिन्स ने कॉम्ट के इस प्रेम के कारण जो वाक्स जैसी साधारण महिला के सम्मान मिला उसके बारे में लिखा है-"यदि वाक्स किसी प्रकार पृथ्वी पर लौट पाती और यह देख पाती कि कॉम्ट ने उसको एक नवीन धर्म की देवी बना दिया है तो वह निश्चित रूप से आश्चर्यचकित हो जाती।"
(System of Positive Polity) नामक कृति में कॉम्ट ने मानवता के धर्म की अवधारणा भी प्रस्तुत की जिसके द्वारा कॉम्ट ने समस्त विरोधी विश्वासों, आचरणों तथा अनुष्ठानों को एक साथ मिलाकर उनके एकीकरण पर बल दिया!
कॉप्ट की आर्थिक दशा अत्यन्त दयनीय थी। प्रथम अवस्था में उनकी आय का साधन प्राइवेट शिक्षा तथा व्याख्यान थे। उनकी प्रथम कृति (The Course of Positive Philosophy) के प्रकाशन के पश्चात् उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया। इस कृति के पश्चात् कॉम्ट को लोकप्रियता प्राप्त हुई और उनके चाहने वालों ने उनके लिये चन्दा इक्ट्ठा हुआ है। कॉम्ट का मानना था कि जिनके लिये आप कार्य कर रहे हैं, उनका तो चन्दा एकत्रित करना कर्तव्य है।
साधारण व मध्यम परिवार में जन्म होने के बावजूद तथा स्कूल से निकाले जाने के बाद भी अपनी भा अपनी प्रखर बौद्धिक क्षमता व तार्किक विचारधारा के द्वारा अगस्त कॉम्ट ने शिक्षित वर्ग में एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया था। उनके अनुयायियों की संख्या कम थी पर उनके प्रशंसकों की संख्या में कोई कमी न थी। आज भी कॉम्ट एक महान समाजशास्त्री रूप में जाने जाते हैं। समाजशास्त्र के जनक के रूप में जानने वाले अगस्त कॉम्ट का निधन 5 सितम्बर 1857 ई० में कैंसर रोग से पीड़ित होने के कारण हो गया। अगस्त कॉम्ट ने समाज के लिये बड़े से बड़ा त्याग किया। अगस्त कॉम्ट जिन्होंने यह घोषणा की कि सामाजिक घटनाओं का अध्ययन करने के लिये एक स्वतन्त्र विज्ञान की आवश्यकता है, हमारे बीच नहि रहे।
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